Tuesday, November 27, 2018

केदारनाथ, बद्रीनाथ की यात्रा 2018 भाग 3 KEDARNATH, BADRINATH YATRA 2018 PART 3

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रात में जल्दी सो जाने के कारण, सुबह होने के पहले ही रात में करीब दो बजे मेरी नींद खुल गई। मैंने दुबारा सोने की कोशिश की पर मुझे नींद नहीं आई, तब मैंने सोचा की बाथरूम तो एक ही है सभी लोग एक साथ उठेंगे तो फ्रेश होने और नहाने में दिक्कत होगी। मुझे अब नींद नहीं आ रही थी तो मैं बाथरूम में गया और फ्रेश हो कर ब्रश भी कर लिया।

Friday, November 09, 2018

केदारनाथ, बद्रीनाथ यात्रा 2018 भाग 2। KEDARNATH,BADRINATH YATRA 2018 PART 2

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पराठों से पेट भरने के बाद हम अपने सफर पर फिर बढ़ चले। अब हमारा रास्ता ऊँचे ऊँचे पहाड़ो के बीच से हो कर गुजर रहा था। पतित पावनी माँ गंगा भी हमारे रास्ते के साथ ही बह रही थी। कभी कभी हम नदी से दूर चले जाते तो कभी कभी नदी के एक दम पास हो जाते। गंगा नदी नागिन की तरह इठलाती बलखाती अपने टेढ़े मेढ़े रास्ते पर स्वछंद बहती जा रही थी और हम उसके किनारों का अनुसरण करते अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे, मानो माँ गंगा स्वयं हमें रास्ता दिखा रही हो। हम एक के बाद एक पहाड़ो को पार करते चले जा रहे थे पर पहाड़ थे के खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। प्रकृति का यह विराट और अनंत स्वरुप देख कर हम आश्चर्यचकित थे और उस विधाता के आगे नतमस्तक भी जिसने ये सब बनाया था।

Saturday, November 03, 2018

केदारनाथ, बद्रीनाथ की यात्रा 2018। भाग1 KEDARNATH , BADRINATH YATRA 2018. PART1

                ॐ नमः शिवाय। जय बद्री विशाल।

इस उद्घघोस के साथ मैं अपनी केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा का वर्णन शुरू कर रहा हूँ। आशा करता हूँ कि यह यात्रा वर्णन आप को पसंद आये तथा भविष्य में इस यात्रा पर जाने वालों को इस ब्लॉग के माध्यम से कुछ मार्गदर्शन मिल सके तो मेरा यह ब्लॉग लिखना सफल हो जायेगा।

Friday, September 14, 2018

लद्दाख डायरी, लेह और आस पास Ladakh Diary, leh and around

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दो दिन की रोमांचक और थका देने वाली यात्रा के बाद लेह की रात बहुत ही आरामदायक बीती और रात को अच्छी नींद भी आई। सुबह जब हम उठे तो काफी अच्छा महसूस कर रहे थे। हमारे मित्र राहुल जी जिनकी तबियत सरचू में ख़राब हो गई थी वो भी अब ठीक ठाक दिखाई पड़ रहे थे। होटल में गर्म पानी से नहाने के बाद हम सभी लद्दाख के नयनाभिराम दृश्यो को अपनी आँखों और अपने कैमरों में कैद करने को तैयार थे।

Friday, August 03, 2018

लद्दाख डायरी, सरचू से लेह Ladakh Diary, sharcu to leh


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सरचू की ठण्ड भरी रात किसी तरह से काटने के बाद सुबह छः बजे हमारी आँख खुली। बाहर अभी भी बहुत ठण्ड थी। तभी टेंट वाले ने सभी टेंटों में  चाय भिजवाई और सुबह के नाश्ते के लिए किचन में आने को बोल गया। ठण्ड के माहौल में गर्म रजाइयों में दुबक कर चाय पीने के आनंद को बयां नहीं किया जा सकता इसे केवल महसूस ही किया जा सकता है।

Thursday, July 26, 2018

लद्दाख डायरी ladakh diary केलांग से सरचू

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टंडी में गाड़ी की टंकी फुल करवाने के बाद हम केलांग की तरफ जा रहे थे तभी रास्ता दो भागों में बटा हुआ दिखाई दिया। एक रास्ता तो केलांग जा रहा था ये तो निश्चित था, पर दूसरा रास्ता कहा जा रहा था इसकी जिज्ञासा ने मुझे ड्राइवर से पूछने को बाध्य कर दिया। ड्राइवर ने बताया कि ये रास्ता उदयपुर होते हुए किलाड़ जाता है और किलाड़ में फिर से ये दो भागों में बट जाता है। किलाड़ से एक रास्ता जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में निकलता है वही दूसरा हिमांचल प्रदेश के चम्बा में। उसने ये भी बताया कि इस रास्ते से जाने के लिए 4480 मीटर ऊँचा साच पास पर करना पड़ता है जो बहुत ही खतरनाक है।

Friday, July 20, 2018

लद्दाख डायरी Ladakh Diary मनाली से केलांग

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अगले दिन सुबह पांच बजे हमारे मोबाइल का घड़ियाल हमें जगाते जगाते खुद सो गया पर हम नहीं जगे। जब छः बजने में पंद्रह मिनट रह गए थे तो विनोद ने मुझे झकझोर कर उठाया और कहा 'चले के नाही बा का'। तब मुझे याद आया की हमें छः बजे टेक्सी स्टैंड पर पहुचना था। हम जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी फ्रेश हो गए बारिश के वजह से ठण्ड थी और वैसे भी मुझे नहाने से कोई ज्यादा लगाव नहीं है तो मैंने अपने बालो में पानी लगाया और तैयार हो गया।

Saturday, July 14, 2018

लद्दाख डायरी Laddakh Diary लद्दाख बुद्ध की भूमि

बचपन में किताबो में पढ़ा था कि तिब्बत को संसार की छत कहा जाता है। तब मन में ये सवाल उठता था कि वो जगह कैसी होगी जिसे संसार की छत होने का गौरव प्राप्त है। अब तिब्बत जाना आसान तो है नहीं क्योंकि वो पड़ोसी देश चीन में स्थित है। पर तिब्बत जैसी ही कुछ भूमि हमारे देश में भी है। जहाँ का रहन सहन, वेशभूषा, खानपान, जलवायु,भाषा, जमीन और पहाड़ इत्यादि सब कुछ तिब्बत जैसा ही है।

Monday, July 02, 2018

वैष्णो देवी की यात्रा 2018 Vaishno Devi Yatra 2018

                            ।। जय माता दी।।
कहते है कि जब माता का बुलावा आता है तो माता किसी न किसी बहाने से अपने भक्तों को बुला ही लेती हैं।

माता रानी की कृपा से लगातार पिछले सात आठ सालों से उनके दर्शनों का सौभाग्य मुझे मिलता रहा है। इन सालो में मुझे माता रानी के दरबार में जाने की प्रेरणा गोरखपुर निवासी एवं लुधियाना में कार्यरत श्री लल्लन तिवारी जी से मिली जो स्वयं माता जी के अनन्य भक्त और बड़े ही सात्विक विचारो वाले व्यक्ति है। हम एक साल में एक बार या ज्यादा से ज्यादा दो बार माता के दर्शनों के लिए जा पाते है पर तिवारी जी पर माता की कुछ विशेष कृपा ही कही जाएगी की पचास साल से ज्यादा की अवस्था होने के बाद भी वह हर महीने, जी हाँ आपने सही पढ़ा हर महीने यानी की साल में बारह बार माता के दरबार में उनके दर्शनों के लिए जाते रहते है।

Saturday, June 23, 2018

खीरगंगा ट्रेक kheerganga trek खीरगंगा से दिल्ली की तरफ

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भोले बाबा के दर्शन हो चुके थे और खीरगंगा की सुंदरता को अपनी आँखों में भर के हम वापस बरशेनी की तरफ निकल रहे थे। खीरगंगा से कुछ नीचे उतरते ही एक रास्ता नीचे जाने वाले रास्ते से अलग ऊपर की तरफ जाता दिखाई दिया तो मैंने वहां पर एक चाय की दुकान वाले से पूछा क़ि ये रास्ता कहाँ जाता है।

Saturday, June 16, 2018

खीरगंगा ट्रेक kheerganga trek खीरगंगा का सौंदर्य

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जब तक हम खीरगंगा पहुँचे शाम के चार बजने वाले थे। खीरगंगा के चारो तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ है और बीच में घास का ढालदार मैदान है। इसी मैदान के सबसे ऊपरी छोर पर पार्वती कुंड है जिसमे गर्म पानी के सोते से आने वाला पानी इकठ्ठा होता रहता है। इसी कुंड के ऊपर भागवान भोलेनाथ का एक छोटा पर सुन्दर सा मंदिर है।

Sunday, June 10, 2018

खीरगंगा ट्रेक kheerganga trek बरशेणी से खीरगंगा

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दोपहर के बारह बज चुके थे और हम बरशेणी के बस अड्डे पर खड़े हो कर कसोल से लाये हुए केले खा रहे थे और दूर बर्फ से लदी पहाड़ियों को देखते हुए सोच रहे थे कि हमें उन्ही पहाड़ियों में कही बारह तेरह km तक पैदल जाना है, जहाँ हमारी मंजिल खीरगंगा है।

Sunday, June 03, 2018

खीरगंगा ट्रेक kheerganga trek भुंतर से बरशेणी


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इतना सब होने के बाद आँखों से नींद गायब हो चुकी थी, तो मैंने बाहर के नजारों का जायजा लेना शुरू किया। पहले चंडीगढ़ से मनाली तक की सड़के डबल लेन थी। अब इन्हे फोर लेन बनाया जा रहा था। सड़क का काम अभी पूरा नहीं हुआ था। कही सड़के फोर लेन थी तो कही टू लेन।

Thursday, May 24, 2018

खीरगंगा ट्रेक KHEERGANGA TREK दिल्ली से भुंतर

सितम्बर 2017 के त्रियुंड यात्रा के  तक़रीबन छः महीने बाद मार्च 2018 में मुझे माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने का सौभाग्य मिला। ये मेरी पहली अकेली यात्रा थी। इस यात्रा के बारे में विस्तार से चर्चा बाद में करेंगें। इस यात्रा के दो महीने के बाद एक बार फिर दिल्ली जाना हुआ। मैंने अपने मित्र राजन जी जो त्रियुंड यात्रा में भी मेरे साथ थे, को एक नई यात्रा खीरगंगा के लिए तैयार कर लिया था।

Friday, May 18, 2018

त्रिउंड ट्रेक TRIUND TREK त्रिउंड के नज़ारे और घर वापसी

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दोपहर के बारह बज गए थे। करीब 9 KM की कठिन चढाई चढ़ कर हम आखिर त्रियुंड पहुँच ही गए थे। और वहां पहुँचते ही हमें इसका इनाम मिला। सामने विराट हिमालय की धौलाधार श्रृंखला खड़ी थी। जिसकी चोटियां बर्फ की वजह से चांदी की तरह चमक रही थी।

Wednesday, May 16, 2018

त्रियुंड ट्रेक TRIUND TREK मैक्लोडगंज से त्रिउंड

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हमने रात में सोते समय ये निश्चित किया था कि हम सुबह पाँच बजे उठ जायेंगे और छः बजे होटल से बाहर निकल जाएंगे। लेकिन सोने के बाद सब भूल जाता है। हम लोग करीब छः बजे सोकर उठे और तैयार हो कर होटल से बाहर निकलने में करीब एक घंटे और लग गए। बाहर निकल कर कल जहाँ हमने परांठे खाए थे वही फिर पहुच गए वहां हमने दो दो परांठे खाये और चाय पी।

Tuesday, May 15, 2018

त्रिउंड ट्रेक TRIUND TREK भागसूनाग में चहलकदमी

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होटल में शिफ्ट होने के बाद हम नहा धो के तैयार हो चूके थे और बड़ी जोरो की भूख भी लग रही थी। हम होटल के बाहर निकले और खाने के लिए एक अच्छी जगह ढूढने लगे।मैक्लोडगंज के टैक्सी स्टैंड के पास पराठों की दुकान दिखाई दी। जिन्होंने कुछ कुर्सियां बाहर खुले में डाल रखी थी। टैक्सी स्टैंड के ठीक नीचे धर्मशाला से आने वाली सड़क है, जिसके पास ही बस स्टैंड है। यहाँ काफी गाड़िया आती जाती दिखती रहती है।

Monday, May 14, 2018

त्रिउंड ट्रेक TRIUND TREK मैक्लोडगंज मिनी तिब्बत

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सुबह का समय और सामने धौलाधार के हसीन नज़ारे मन कर रहा था कि वहीँ बैठे बैठे ये नजारा देखता रहूँ। धर्मशाला काँगड़ा जिले के अंतरगत आता है। दिल्ली से धर्मशाला की दूरी तक़रीबन 480 km. है और उचाई 1450 मीटर।

त्रियुंड ट्रेक TRIUND TREK गोरखपुर से घर्मशाला

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मैंने 28 सितम्बर 2017 के दिन गोरखपुर से दिल्ली जाने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस में आरक्षण करा लिया था। अब इंतजार था यात्रा के दिन का। खैर वो दिन भी आ गया। मैंने अपना बैग उठाया और गोरखपुर ट्रैन पकड़ने के लिए घर से चल पड़ा।मेरा घर गोरखपुर से 60 km. दूर है।

त्रियुंड ट्रेक TRIUND TREK यात्रा की योजना

 कई साल पर्यटक की तरह घुमने के बाद ऐसा लगा कि ये घूमना भी कोई घूमना हुआ । किसी भी हिल स्टेशन पर जाने के बाद घर जैसा आराम होटलो में रहना खाना, गाडियो में बैठ कर इस पॉइंट उस पॉइंट पर घूमना इस बार कुछ अलग करने का मन जोर जोर से कर रहा था। लेकिन मन की करने के लिये एक चीज का अभाव था। वो चीज थी समय ।

Sunday, May 13, 2018

मेरे बारे में ABOUT ME

बचपन में पिताजी और माता जी के सानिध्य में कई जगह घुमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिनमे कश्मीर घाटी, जम्मू, कोलकता, मथुरा वृन्दावन इत्यादि जगहें प्रमुख हैं। लेकिन असली घुमक्कड़ी की शुरुआत  सन 2001 में ईलाहाबाद युनिवर्सिटी में पढाई के दौरान हुई। तब से हर साल कही ना कही घुमने का अवसर मिलता रहा। मै धन्यवाद देना चाहूंगा अपने परिवार का जिन्होंने मुझे घूमने से कभी रोका नहीं और मित्रो का जिनके साथ मैं घूमने जा पाया। मैंने  अपने मित्रों के साथ में दो बार लद्दाख, स्पिति घाटी, अमरनाथ यात्रा,दक्षिण भारत,पूर्वोत्तर में सिक्किम, मनाली,दार्जिलिंग,नैनीताल एवं मंसूरी इत्यादि जगहों का भ्रमण कर चूका हूँ। मैं विशेष रूप से अपने मित्रों विनोद जायसवाल, संजय जयसवाल,गौतम तिवारी,राहुल गुप्ता एवं राजन चौरसिया जी का नाम यहाँ लिख रहा हूँ जिनके बिना मेरी कई यात्राएं हो ही नहीं सकती थी