Pages

Thursday, May 24, 2018

खीरगंगा ट्रेक KHEERGANGA TREK दिल्ली से भुंतर

सितम्बर 2017 के त्रियुंड यात्रा के  तक़रीबन छः महीने बाद मार्च 2018 में मुझे माता वैष्णो देवी के दरबार में जाने का सौभाग्य मिला। ये मेरी पहली अकेली यात्रा थी। इस यात्रा के बारे में विस्तार से चर्चा बाद में करेंगें। इस यात्रा के दो महीने के बाद एक बार फिर दिल्ली जाना हुआ। मैंने अपने मित्र राजन जी जो त्रियुंड यात्रा में भी मेरे साथ थे, को एक नई यात्रा खीरगंगा के लिए तैयार कर लिया था।
दरअसल यह यात्रा मार्च में वैष्णो माता की यात्रा के स्थान पर होनी थी। पर किसी कारणवश खीरगंगा यात्रा की योजना को रद करना पड़ा था। खैर देर से ही सही हम खीरगंगा की यात्रा पर जा रहे थे।

18 मई 2018 को हमने फ़ोन पर ये तय कर लिया था क़ि हम शाम को छः बजे विधान सभा मेट्रो स्टेशन पर मिलेंगें। यहाँ से मजनू का टीला जहाँ से कुल्लू के लिए वॉल्वो बस जाती है काफी नजदीक है। ई रिक्शा वाले ने पचास रूपये में हमें हमारी बस के पास छोड़ दिया। शाम के साढ़े छः बजे थे। मुझे बहुत भूख लगी थी तो मैंने वही ठेले पर दो एग रोल ले लिये। एक एक एग रोल को हमने अपने पेट में जगह दी जिसके बाद हमें बड़ी राहत मिली। रास्ते के लिये एक कुरकुरे का पैकेट, एक बिस्किट और पानी की एक बोतल ले ली गई। बस अपने नियत समय साढ़े छः बजे के बदले साढ़े सात बजे निकली।

दिल्ली से हरियाणा या हिमांचल जाने वाली बसें काफी तेज गति से चलती है। हमनें एक दम आगे की सीट ले रखी थी। जब बस ने स्पीड पकड़ी तो मुझे डर लगने लगा कि बस अब लड़ी की तब लड़ी पर आप लोगो के आशीर्वाद से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। हम सही सलामत मुरथल पहुँच गए। मुरथल में बहुत बड़े बड़े ढाबे है।जहाँ दिल्ली तक के लोग अपने परिवार के साथ खाना खाने आते है।लेकिन हमारी बस वहां नहीं रुकी। रात में करीब दस साढ़े दस बजे पानीपत के आगे हवेली नाम के एक ढाबे पर हमारी बस रुकी। हवेली नाम के ढाबे हरियाणा और पंजाब में बहुतायत में पाए जाते है।लगता है ये कोई फ़ूड चैन है।

हम बस  से उतरे क्या शानदार ढाबा था।  ढाबे में घुसते ही हमारा स्वागत राजस्थानी कलाकारो ने राजस्थानी डांस से किया। इसका केवल नाम भर ही ढाबा था। पर ये किसी आलीशान रेस्टोरेन्ट से बढ़ कर था। और इससे बढ़कर इसके खाने के रेट। हमने भी दो दो रोटियां पनीर की सब्जी के साथ खाई। खाने का टेस्ट मुझे तो बढ़िया नहीं लगा। पनीर की सब्जी का टेस्ट हमारे उत्तर प्रदेश में मिलने वाली पनीर की सब्जी से बिलकुल अलग था। खैर यही तो विविधता है हमारे देश की ।

 सुबह के साढ़े चार बजे एक मजेदार घटना घटी हमारी बस सुंदरनगर के एक ढाबे पर रुकी ड्राइवर ने सबसे कहा कि जिसको चाय वाय पीनी हो पीले या वाशरूम वगैरा जाना हो चला जाये। हम नींद में थे तो हमें ये बात देर से समझ में आयी। थोड़ी देर बाद हम उठे और वाशरूम में  चले गए। वहां तीन वाशरूम थे। जिनमे एक ही खाली था। राजन उसमे घुस गया। मैं बाहर खड़ा होके इंतजार करने लगा। तभी एक और वाशरूम खाली हुआ उसमे मैं घुस गया ।दो मिनट भी नहीं हुए थे के राजन का फ़ोन आने लगा मैंने पुछा क्या हो गया भाई मैं वाशरूम में हूँ। उसने कहा क़ि बस हमें छोड़ के आगे चली गई है। मैंने राजन  को कहा दौड़ के जाओ और बस को रोके रखो मैं अभी आया। जैसे तैसे निबट कर मैं भी दौड़ के बस में पहुँचा। बस में सब हमें ऐसे देख रहे थे कि जैसे हमारे वजह से वे यहाँ हैं नहीं तो अभी तक कुल्लू पहुँच गए होते।

 हवेली ढाबा

राजस्थानी डांस

ढाबे के अंदर का नजारा








2 comments: