सरचू की ठण्ड भरी रात किसी तरह से काटने के बाद सुबह छः बजे हमारी आँख खुली। बाहर अभी भी बहुत ठण्ड थी। तभी टेंट वाले ने सभी टेंटों में चाय भिजवाई और सुबह के नाश्ते के लिए किचन में आने को बोल गया। ठण्ड के माहौल में गर्म रजाइयों में दुबक कर चाय पीने के आनंद को बयां नहीं किया जा सकता इसे केवल महसूस ही किया जा सकता है।