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केदारनाथ बेस कैंप तक पहुंचने के बाद गौतम और मैं वही बैठ कर आराम करने लगे। गौतम ने मुझसे कहा कि तुम आगे बढ़ो मैं धीरे धीरे मंदिर तक चला आऊंगा। लेकिन मैंने भी सोच लिया था कि अब चाहे कितनी भी देर हो जाये मंदिर तक तो हम साथ में ही जायेंगे। मैंने वही पास की एक दुकान से बिस्किट का एक पैकेट लिया और चाय बनवाई। चाय बिस्किट खाके हमारे थके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया और अब हम आगे बढ़ने को तैयार हो गए थे। चाय बिस्किट और थोड़े आराम के बाद मैंने समय देखा तो दोपहर के तीन बजने वाले थे और तीन बजे मंदिर के कपाट बंद होने का समय भी था, पुनः शाम को पांच बजे कपाट खुलते।