Monday, May 14, 2018

त्रियुंड ट्रेक TRIUND TREK गोरखपुर से घर्मशाला

इस यात्रा के बारे में शुरुआत से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
मैंने 28 सितम्बर 2017 के दिन गोरखपुर से दिल्ली जाने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस में आरक्षण करा लिया था। अब इंतजार था यात्रा के दिन का। खैर वो दिन भी आ गया। मैंने अपना बैग उठाया और गोरखपुर ट्रैन पकड़ने के लिए घर से चल पड़ा।मेरा घर गोरखपुर से 60 km. दूर है।
घर से गोरखपुर पहुचने में डेढ़ दो घंटे लगते है। 4.35 ट्रैन का प्रस्थान समय है।किसी तरह दस मिनट पहले स्टेशन पहुचाँ और भागते भागते अपने डब्बे तक पहुँच कर चैन की साँस ली। ट्रैन की यात्रा में कोई विशेष बात नहीं थी। एक साधारण सी यात्रा जिससे मैं सुबह 7.00 बजे दिल्ली पहुँच गया।

 दिल्ली पहुँच कर मैं अपने दुकान के काम में व्यस्त हो गया और रात को मार्किट के ही एक होटल में सो गया। अगले दिन दुकान का बाकी काम निबटा कर शाम को राजन को फ़ोन करने लगा तो पता चला की उसे अभी बैंक में कुछ काम है देर लगेगी। उसने मुझे अपने कमरे पर बुला लिया। शाम को करीब 6.00 हम दोनों लोग मजनू का टीला जहाँ हिमांचल जाने के लिए प्राइवेट वॉल्वो बसे चलती है पहुँच गए। राजन ने पहले से ही एडवांस बुकिंग करा ली थी। मैंने राजन से पूछा भाई साधारण बस की टिकट ले लेता तो उसने कहा रस्ते में ही थक जाओगे तो वहां कहाँ घुमोंगे। मैंने भी सोचा समय कम है, कम से कम रात आराम से तो कटेगी। 8.00 बजे के करीब धर्मशाला जाने वाली हमारी बस आ गयी, न तो मैंने न ही राजन ने दोपहर में कुछ खाया था। इस लिए वही बस स्टेशन पर हम लोगो ने एग रोल खाये। भूखे तो थे ही इस लिए कुछ बिस्किट के पैकेट और नमकीन रस्ते के लिए रख लिए गए।

 आधे घंटे में बस स्टार्ट हो गई , चूँकि रात हो गई थी इसलिए खिड़की के बाहर देखने लायक कुछ खास नहीं था। तो हमने भी कम्बल ताने और सो गए। रात में करीब 11.30-12.00 बजे के करीब एक ढाबे पर बस रुकी जिन्हें खाना था वो बस से उतर लिए। अब तक हमारे पेट में भी एग रोल दम तोड़ चुके थे सो हम भी खाना खाने ढाबे में पहुच गए खाना बहुत टेस्टी तो नहीं था पर बिल बहुत तगड़ा था। खैर पेट भर गया तो सबेरे धर्मशाला में ही आँख खुली।

 हम करीब 7.00 बजे सुबह धर्मशाला में थे।धर्मशाला से धौलाधार की पहाड़ियां एक दम करीब है। बस से उतरते ही आँखों के सामने धौलाधार की पहाड़ियों को देख कर सारी थकान गायब हो गई। मन इस उमंग से भर गया कि इन्ही पहाड़ियों में कही त्रियुंड है जहाँ हम जाने वाले है। धर्मशाला में एक स्टेडियम है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये भारत का सबसे खूबसूरत स्टेडियम है।मैंने भी इस स्टेडियम को किसी क्रिकेट मैच के दौरान टीवी पर देखा था। मन तो बहुत था कि स्टेडियम देख आये पर सुबह का समय था और स्टेडियम अभी खुला नहीं था, और हमें तो धर्मशाला से ऊपर मैक्लोडगंज जाना था।
आगे:- त्रिउंड ट्रेक TRIUND TREK मैक्लोडगंज मिनी तिब्बत

No comments:

Post a Comment