Thursday, July 26, 2018

लद्दाख डायरी ladakh diary केलांग से सरचू

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टंडी में गाड़ी की टंकी फुल करवाने के बाद हम केलांग की तरफ जा रहे थे तभी रास्ता दो भागों में बटा हुआ दिखाई दिया। एक रास्ता तो केलांग जा रहा था ये तो निश्चित था, पर दूसरा रास्ता कहा जा रहा था इसकी जिज्ञासा ने मुझे ड्राइवर से पूछने को बाध्य कर दिया। ड्राइवर ने बताया कि ये रास्ता उदयपुर होते हुए किलाड़ जाता है और किलाड़ में फिर से ये दो भागों में बट जाता है। किलाड़ से एक रास्ता जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में निकलता है वही दूसरा हिमांचल प्रदेश के चम्बा में। उसने ये भी बताया कि इस रास्ते से जाने के लिए 4480 मीटर ऊँचा साच पास पर करना पड़ता है जो बहुत ही खतरनाक है।

Friday, July 20, 2018

लद्दाख डायरी Ladakh Diary मनाली से केलांग

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अगले दिन सुबह पांच बजे हमारे मोबाइल का घड़ियाल हमें जगाते जगाते खुद सो गया पर हम नहीं जगे। जब छः बजने में पंद्रह मिनट रह गए थे तो विनोद ने मुझे झकझोर कर उठाया और कहा 'चले के नाही बा का'। तब मुझे याद आया की हमें छः बजे टेक्सी स्टैंड पर पहुचना था। हम जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी फ्रेश हो गए बारिश के वजह से ठण्ड थी और वैसे भी मुझे नहाने से कोई ज्यादा लगाव नहीं है तो मैंने अपने बालो में पानी लगाया और तैयार हो गया।

Saturday, July 14, 2018

लद्दाख डायरी Laddakh Diary लद्दाख बुद्ध की भूमि

बचपन में किताबो में पढ़ा था कि तिब्बत को संसार की छत कहा जाता है। तब मन में ये सवाल उठता था कि वो जगह कैसी होगी जिसे संसार की छत होने का गौरव प्राप्त है। अब तिब्बत जाना आसान तो है नहीं क्योंकि वो पड़ोसी देश चीन में स्थित है। पर तिब्बत जैसी ही कुछ भूमि हमारे देश में भी है। जहाँ का रहन सहन, वेशभूषा, खानपान, जलवायु,भाषा, जमीन और पहाड़ इत्यादि सब कुछ तिब्बत जैसा ही है।

Monday, July 02, 2018

वैष्णो देवी की यात्रा 2018 Vaishno Devi Yatra 2018

                            ।। जय माता दी।।
कहते है कि जब माता का बुलावा आता है तो माता किसी न किसी बहाने से अपने भक्तों को बुला ही लेती हैं।

माता रानी की कृपा से लगातार पिछले सात आठ सालों से उनके दर्शनों का सौभाग्य मुझे मिलता रहा है। इन सालो में मुझे माता रानी के दरबार में जाने की प्रेरणा गोरखपुर निवासी एवं लुधियाना में कार्यरत श्री लल्लन तिवारी जी से मिली जो स्वयं माता जी के अनन्य भक्त और बड़े ही सात्विक विचारो वाले व्यक्ति है। हम एक साल में एक बार या ज्यादा से ज्यादा दो बार माता के दर्शनों के लिए जा पाते है पर तिवारी जी पर माता की कुछ विशेष कृपा ही कही जाएगी की पचास साल से ज्यादा की अवस्था होने के बाद भी वह हर महीने, जी हाँ आपने सही पढ़ा हर महीने यानी की साल में बारह बार माता के दरबार में उनके दर्शनों के लिए जाते रहते है।