बचपन में पिताजी और माता जी के सानिध्य में कई जगह घुमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिनमे कश्मीर घाटी, जम्मू, कोलकता, मथुरा वृन्दावन इत्यादि जगहें प्रमुख हैं। लेकिन असली घुमक्कड़ी की शुरुआत सन 2001 में ईलाहाबाद युनिवर्सिटी में पढाई के दौरान हुई। तब से हर साल कही ना कही घुमने का अवसर मिलता रहा। मै धन्यवाद देना चाहूंगा अपने परिवार का जिन्होंने मुझे घूमने से कभी रोका नहीं और मित्रो का जिनके साथ मैं घूमने जा पाया। मैंने अपने मित्रों के साथ में दो बार लद्दाख, स्पिति घाटी, अमरनाथ यात्रा,दक्षिण भारत,पूर्वोत्तर में सिक्किम, मनाली,दार्जिलिंग,नैनीताल एवं मंसूरी इत्यादि जगहों का भ्रमण कर चूका हूँ। मैं विशेष रूप से अपने मित्रों विनोद जायसवाल, संजय जयसवाल,गौतम तिवारी,राहुल गुप्ता एवं राजन चौरसिया जी का नाम यहाँ लिख रहा हूँ जिनके बिना मेरी कई यात्राएं हो ही नहीं सकती थी
I look forward to your writing.
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